Saturday 28 July 2012

ओवर-एज


हरजिंदर कौर कंग

कौन आया है तुम्हारे साथ? बुलाओ उसे अंदर।दो सौ से ऊपर ब्लड-प्रैशर देखते ही डॉक्टर राम प्रसाद ने किरनदीप को कहा।
मेरे साथ कोई नहीं आया डॉक्टर सा'ब, अकेली आई हूँ।
कमाल है! इस कंडीशन में किसी न किसी को साथ लेकर आते हैं।
डॉक्टर सा'ब! कोई एक दिन आएगा, दो दिन आएगा, रोज़-रोज़ मेरे साथ आने को घर में कौन फ्री है? मुझे तो बीस साल हो गए धक्के खाती को।
धक्के खाती को! देखो मैडम, मैं तुम्हारे ब्लड-प्रैशर की बात कर रहा हूँ। तुम्हें बीस साल…।
बीस साल से तो डॉक्टर सा'ब मैं इंटरव्यू देती आ रही हूँ।
देखो, तुम्हारा ब्लड-प्रैशर बहुत हाई है। इतना ब्लड-प्रैशर ठीक नहीं होता। इस से अटैक होने और लकवा मार जाने का खतरा रहता है। तुम अपना इलाज करवाओ पहले।
डाक्टर सा'ब! मुझे जल्दी से दवाई दो। सिर बहुत चकरा रहा है। मैंने बी.ऐड-टीचर की इंटरव्यू के लिए जाना है। मेरी बारी आने वाली होगी। चक्कर आने के कारण आ गई मैं तो।
मैडम! पहले सेहत, फिर नौकरी। यह लो एक कैप्सूल। जीभ के नीचे रखकर बाहर बेंच पर आराम करो।कहते हुए डॉक्टर ने अगले मरीज को बुलाया।
क्या काम करती हो?
जी, बेकार हूँ। घर का काम ही करती हूँ। बी.एस.सी., बी.एड की है। ओवरएज हो गई, नौकरी नहीं मिली।
डॉ. राम प्रसाद ने उसकी पुरानी पर्ची देखते हुए सोचा ब्लड-प्रैशर, शूगर…।
तभी उसे किरनदीप की आवाज़ ने चौंकाया, डॉक्टर सा'ब! मुझे कुछ फर्क है, प्लीज, मैं जा सकती हूँ। यह मेरा आखरी चांस है, इंटरव्यू का…।
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